M I Philosopher !
When mind is running out of thoughts !
13/07/2015
" डर "
मुझे डर नहीं अब तेरे जाने का,
मुझे अब डर नहीं तेरे रहने का ।
हाँ, फिर भी डर है ।
डर है तनहाई का,
जो बन गया तेरी परछाई मैं,
अब डर है इस परछाई को ज़िस्म से अलग होने का ।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment