13/07/2015

"  डर  "
मुझे डर  नहीं अब तेरे जाने का,
मुझे अब डर  नहीं तेरे  रहने  का । 
हाँ, फिर भी डर है । 
डर है तनहाई का,
जो  बन गया तेरी परछाई  मैं,
अब डर  है इस परछाई को ज़िस्म से अलग होने   का । 



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