बारिश की बूँदे और छाते की आस,
सुहानी है तब तक जब तक तुम हो पास।
एक छज्जे तले भी ना हो खुश तो,
कैसी यह प्रीत कैसी यह प्यास।
प्यार के मोहताज़ क्यूँ है यह ज़िन्दगी ,
चाहती भी तो कुछ और क्यूँ नहीं।
क्यूँ इसके तले रुलता है इन्सान ,
क्यों इस ही की छाया में जीता भी है।
दोराहे पर खड़ा हर शख्स होता है बेबस ,
जाए इधर, ऊधर या खड़ा रहे इस कदर।
इश्क़ का मोल नहीं है कुछ भी,
बस मौत तक करता है गड़बड़।
गड़बड़ में मज़ा भी है, जो समझे इसके तेवर।
ना समझ आया था ना आएगा,
ऐसे ही रुलाया था ऐसे ही रुलाएगा।
-- र. म
कैसी यह प्रीत कैसी यह प्यास।
प्यार के मोहताज़ क्यूँ है यह ज़िन्दगी ,
चाहती भी तो कुछ और क्यूँ नहीं।
क्यूँ इसके तले रुलता है इन्सान ,
क्यों इस ही की छाया में जीता भी है।
दोराहे पर खड़ा हर शख्स होता है बेबस ,
जाए इधर, ऊधर या खड़ा रहे इस कदर।
इश्क़ का मोल नहीं है कुछ भी,
बस मौत तक करता है गड़बड़।
गड़बड़ में मज़ा भी है, जो समझे इसके तेवर।
ना समझ आया था ना आएगा,
ऐसे ही रुलाया था ऐसे ही रुलाएगा।
-- र. म
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